Wednesday, April 29, 2009

दिल दिमाग और जिस्त की जरा कारगुजारी तो देखिये
झूठ फरेब में सराबोर इस जमीर की खुमारी तो देखिये

चंद पैसे के खातिर बेचा जिसने अपना लख्त-ए-जिगर
एक बेबस और मजबूर माँ की जरा लाचारी तो देखिये

हंसी लबों पे और दिल में ले के रंजिश मिलता है मुझे
उस शख्श की ये खूबसूरत जरा अदाकारी तो देखिये

सच ही निकलता है सदा इस मुँह से, बुरी आदत है
मुझ नासमझ नादान की जरा दुनियादारी तो देखिये

तूने देखा तो बस आंसू ही देखा मेरे इन आँखों में
जो इस दिल में भड़की है जरा वो चिंगारी तो देखिये

एक मासूम को देखा है ढूंढ़ते, कूड़े में अपना निवाला
उस परवरदिगार की बेसबब जरा तरफदारी तो देखिये

Manish Tiwari

2 comments:

  1. behatrin jajbat.....aur shabd sanrachna
    bahut hi pyare gazal
    एक मासूम को देखा है ढूंढ़ते, कूड़े में अपना निवाला
    उस परवरदिगार की बेसबब जरा तरफदारी तो देखिये

    चंद पैसे के खातिर बेचा जिसने अपना लख्त-ए-जिगर
    एक बेबस और मजबूर माँ की जरा लाचारी तो देखिये

    हंसी लबों पे और दिल में ले के रंजिश मिलता है मुझे
    उस शख्श की ये खूबसूरत जरा अदाकारी तो देखिये
    best lines in the history of gazals realy
    manish u r realy a grear fankar...

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  2. कुलदीप भाई जर्रनावाज़ी के लिए शुक्रिया,
    पर आपने तो बहुत बहुत ही तारीफ़ कर दी
    मैं इतने के लायक तो नही हूँ, हाँ कोशिश हमेशा अच्छा करने के होती है

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