दिल दिमाग और जिस्त की जरा कारगुजारी तो देखिये
झूठ फरेब में सराबोर इस जमीर की खुमारी तो देखिये
चंद पैसे के खातिर बेचा जिसने अपना लख्त-ए-जिगर
एक बेबस और मजबूर माँ की जरा लाचारी तो देखिये
हंसी लबों पे और दिल में ले के रंजिश मिलता है मुझे
उस शख्श की ये खूबसूरत जरा अदाकारी तो देखिये
सच ही निकलता है सदा इस मुँह से, बुरी आदत है
मुझ नासमझ नादान की जरा दुनियादारी तो देखिये
तूने देखा तो बस आंसू ही देखा मेरे इन आँखों में
जो इस दिल में भड़की है जरा वो चिंगारी तो देखिये
एक मासूम को देखा है ढूंढ़ते, कूड़े में अपना निवाला
उस परवरदिगार की बेसबब जरा तरफदारी तो देखिये
Manish Tiwari