मिले हैं ग़म कितने ही मुझे जमाने में
भरा है दर्द ही दर्द बेहद मेरे फ़साने में
है जिद कि मेरी सितम तेरे आजमाने की
मजा तुझे जो आता है गर मुझे सताने में
आ कभी बैठ तो फुरसत से मेरे पास में तू
वक्त लगना है जरा ज़ख्म तुझे दिखाने में
है कबूल मुझको दुनिया के इल्जाम सभी
अभी भी बाकी है बहुत जान तेरे दीवाने में
क्यूँ खफा हो के तुम इस तरह सताते हो
तेरा भी कोई दिन गुजरे मुझे मनाने में
Manish Tiwari