जो थे अँधेरे अब वो खामोश से हो गए
माँ की गोद में सिमट के जो हम सो गए
याद है अब भी माँ का हांथो से खिलाना रोटी
यूँ तो कहने को अब हम जवाँ हो गए
दे के थपकी मेरे माथे पे सुलाना मुझको
नींद वो रेशमी और सुकूँ रात कहाँ खो गए
वो तेरे डांट में भी प्यार का एक अहसास था
याद आये जो वो अहसास तो आज हम रो गए
जो हो सके समेट लो इन गुजरते लम्हों को
क्या पता फिर न आये, एक बार ये जो गए
Manish Tiwari
माँ की गोद में सिमट के जो हम सो गए
याद है अब भी माँ का हांथो से खिलाना रोटी
यूँ तो कहने को अब हम जवाँ हो गए
दे के थपकी मेरे माथे पे सुलाना मुझको
नींद वो रेशमी और सुकूँ रात कहाँ खो गए
वो तेरे डांट में भी प्यार का एक अहसास था
याद आये जो वो अहसास तो आज हम रो गए
जो हो सके समेट लो इन गुजरते लम्हों को
क्या पता फिर न आये, एक बार ये जो गए
Manish Tiwari
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