Friday, June 24, 2011

नजारों की बात होगी ना बहारों की बात होगी

नजारों की बात होगी ना बहारों की बात होगी
फाकाकशी के मारों को निवालों की बात होगी

ग़म है अगर जो पास तो खुद ही सम्हालिए
महफ़िल में ना किसी से दिलासों की बात होगी

दिन का गुजर है फिर भी उजालों के सहारे
आएगी रात फिर जो चिरागों की बात होगी

बस जख्म खाते खाते गुजारी है ये जिंदगी
हमसे ना फिर कभी वफाओं की बात होगी

मुझको तुम्हारे होठों से शबनम चुराने दो
फिर ना कभी दीवाने की मुरादों की बात होगी

Manish Tiwari

2 comments:

  1. बहुत सुन्दर गजले लिखने के लिए आप को बधाई.

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  2. wahhh...bahut khoob...Badhai...
    http://ehsaasmere.blogspot.in/

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