Sunday, May 30, 2010


न मंजिल न मुश्किल-ए-सफ़र की बात है
अपने अपने ख़याल और नज़र की बात है

अब बच्चों के हाथ मेरे पैरो को छूते नहीं
ये इस दौर-ए-तरक्की की असर की बात है

बाद मुद्दत से तेरी कोई चिट्ठी भी ना आई
तेरा मुझसे ख़फा होने की खबर की बात है

जिंदगी अपनी भी गुजरी थी लज्जत में कभी
तेरा था साथ उस शाम-ओ-सहर की बात है

खिलें है फूल ही फूल गुलशन में जब बहार थी
खिजां में फूल गर खिले ये जिगर की बात है

manish tiwari

2 comments:

  1. अच्छे अशआर आप मुबारक बाद के हक़दार हैं।

    ReplyDelete
  2. बहुत अच्छा गजल है . कलम की धर पैनी है. हर शब्द अपना प्रभाव छोड़ जाते है.

    ReplyDelete