खुदा करे कि शब्-ए-वस्ल की सहर न हो
मै उतर जाऊ तेरे दिल में तुझे खबर न हो
खुशनसीबो को ही मिलता है दर्द उल्फत में
ऐ मसीहा तेरे चारागरी में कुछ असर न हो
मै घर से निकलू तो पहुंचू तेरे दर पर ही
जो तेरे दर पे ही न पहुचे कोई डगर न हो
यूँ छा गयी है मेरे दिल में और दिमाग में तू
तेरे सिवा अब दुनिया में कुछ नज़र न हो
कि म्रेरे जिस्म में अब तेरा ही तो एहसास है
जिन्दगी मेरी अब तुझ बिन कभी बसर न हो
Manish Tiwari
Manish Tiwari
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