नजारों की बात होगी ना बहारों की बात होगी
फाकाकशी के मारों को निवालों की बात होगी
ग़म है अगर जो पास तो खुद ही सम्हालिए
महफ़िल में ना किसी से दिलासों की बात होगी
दिन का गुजर है फिर भी उजालों के सहारे
आएगी रात फिर जो चिरागों की बात होगी
बस जख्म खाते खाते गुजारी है ये जिंदगी
हमसे ना फिर कभी वफाओं की बात होगी
मुझको तुम्हारे होठों से शबनम चुराने दो
फिर ना कभी दीवाने की मुरादों की बात होगी
फाकाकशी के मारों को निवालों की बात होगी
ग़म है अगर जो पास तो खुद ही सम्हालिए
महफ़िल में ना किसी से दिलासों की बात होगी
दिन का गुजर है फिर भी उजालों के सहारे
आएगी रात फिर जो चिरागों की बात होगी
बस जख्म खाते खाते गुजारी है ये जिंदगी
हमसे ना फिर कभी वफाओं की बात होगी
मुझको तुम्हारे होठों से शबनम चुराने दो
फिर ना कभी दीवाने की मुरादों की बात होगी
Manish Tiwari