Friday, June 24, 2011

नजारों की बात होगी ना बहारों की बात होगी

नजारों की बात होगी ना बहारों की बात होगी
फाकाकशी के मारों को निवालों की बात होगी

ग़म है अगर जो पास तो खुद ही सम्हालिए
महफ़िल में ना किसी से दिलासों की बात होगी

दिन का गुजर है फिर भी उजालों के सहारे
आएगी रात फिर जो चिरागों की बात होगी

बस जख्म खाते खाते गुजारी है ये जिंदगी
हमसे ना फिर कभी वफाओं की बात होगी

मुझको तुम्हारे होठों से शबनम चुराने दो
फिर ना कभी दीवाने की मुरादों की बात होगी

Manish Tiwari

Saturday, January 8, 2011

ख्वाब खला आँखे और मंज़र सब तेरे
है परवत नदिया पेड़ समंदर सब तेरे

हाजिर है सिर ये कटने को बे साख्ता
तीर कमान नश्तर और खंजर सब तेरे

लिख खिजाएँ नाम हम अपने बैठे है
अब्र बहार शबनम है अन्दर सब तेरे

इश्क इबादत खुदा परस्ती के जैसे है
ये काशी काबा मस्जिद मंदिर सब तेरे

तेरे हुस्न के ताब से बच सकता है कौन
नैन नक्श और अंग अंग सुंदर सब तेरे

Wednesday, January 5, 2011

हस्ती आंसू की फकत दिल की जुबानी सी है
ये मेरे दिल और तेरे दिल की कहानी सी है

जब तलक आँख में रखा है सम्हाले इसको
इसकी कीमत एक अनमोल निशानी सी है

फर्क है इसको समझने का और समझाने का
किसी को मोती तो किसी और को पानी सी है

कैफियत इसकी जो ढूंढोगे तो ये पाओगे
लख्त है जीस्त का पर असर रूहानी सी है

गर तू समझे तो बता दूँ मैं हकीकत इसकी
फिर न कहना कि ये चीज कुछ पहचानी सी है

Manish Tiwari