Tuesday, June 16, 2009

बात जो दिल में थी वो लफ्जों में ढलना बाकि है
कि जैसे नींद तो टूटी फकत आँख मलना बाकि है

वफ़ा की राह में चल कर ये अब हमको हासिल है
कि सामने ही है मंजिल बस और चलना बाकि है

कहाँ कि तुझ बिन जिन्दगी हो मेरी बसर कभी
चिता हो जैसे सजी कोई बस और जलना बाकि है

जिन्दगी की भी तो बस अपनी यही कहानी है
हुआ हो दिन तमाम जैसे बस शाम ढलना बाकि है

मिला है मुझको वफ़ा का सिला यूँ दुनिया में
जुबां खामोश सी है बस अश्क निकलना बाकि है


Manish Tiwari

Tuesday, June 2, 2009


मेरे आँख में जो अश्क है वो पानी ही तो है
मेरे दिल का ये हाल महज कहानी ही तो है

जख्म जो तूने दिए मुझको वो मेरे दिल में है
मेरे नज़रों में तेरे प्यार की निशानी ही तो है

प्यार का डोर जो टूटा तो क्यूँ ये समझ ले
वजह इसकी फकत अपनी नादानी ही तो है

अब तलक क्यूँ जिन्दा हूँ बिछड़ के तुझसे
ये मेरे दिल में तेरे प्यार की रवानी ही तो है

धड़कने थम सी गयी सांस अब रुक सी गयी
कशमकश कैसी जब जान ये जानी ही तो है

Manish Tiwari